Manna Dey is no more.
As a quick tribute to this great artiste I reproduce an article which was written with an unusual angle, on his 93rd birthday. This article was first published in Hindi Times.
As a quick tribute to this great artiste I reproduce an article which was written with an unusual angle, on his 93rd birthday. This article was first published in Hindi Times.
अगले सप्ताह १ मई के
दिन हिन्दी फिल्म गायकों के भीष्म पितामह मन्ना डे का ९३वां जन्मदिन है. तब इतने वरिष्ट
पार्श्व गायक के बारे में आज तक न जाने कितने ही लेख अलग अलग द्रष्टि से लिखे गये हैं.
किसी ने उन के गाये शास्त्रीय राग पर आधारित गानों के बारे में लिखा है, तो किसी ने
कौन से संगीतकार या गीतकार के गीत मन्ना दा ने गाये इस बात पर चर्चा की है. इस लिये
रफी साहब, किशोर कुमार और मुकेश की तरह उन की विशीष्ट आवाज़ किसी एक हीरो के साथ परिचयात्मक
रूप से जुडने के बजाय हर कलाकार के लिये उपयुक्त लगती थी. उन की अलग आवाज़ का फायदा
यह था कि जब भी कोई विशीष्ट गीत बनता था जो कि नायक के अलावा किसी और को गाना होता
था, तो ऐसी रचनाओं के लिये बहुधा प्रथम पसंद मन्ना डे हुआ करते थे. इस लिये आज हम ऐसे
गीत देखने का प्रयास करेंगे जो कि फिल्म के ‘हीरो’ नहीं मगर अन्य अभिनेताओं पर फिल्माये
गये थे.
हालांकि यह बात भी
इतिहास सिध्ध है कि एक समय पर राज कपूर पर फिल्माये जानेवाले काफी गाने (“प्यार हुआ इकरार हुआ है…”, “दिल का हाल सुने
दिलवाला..”, “लागा चुनरी में दाग छुपाउं कैसे...” इत्यादि) मन्ना डे ने गाये हैं.
फिर राजेन्द्र कुमार (मुस्कुरा लाड ले मुस्कुरा…)
से राजेश खन्ना (ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाये…)
तक और शम्मी कपूर (अब कहां जायें हम, ये
बता दे ज़मीं…) से लेकर अमिताभ बच्चन (ये
दोस्ती हम नहीं तोडेंगे…….) तक के हर समय के सुपर स्टार ने भी मन्ना दा की आवाज़
पर गीत गाये ही हैं.
मगर अपने सीधे सादे
स्वभाव की वजह से वे किसी केम्प का हिस्सा नहीं बन पाये. ऐसे में हर कलाकार को किसी
एक इमेज में ढाल देने की फिल्मी दुनिया की परंपरा के चलते मन्ना डे को भी “विशीष्ट गानों के विशीष्ट गायक’’ के रूप
में प्रस्थापित किया गया. इस से उन को व्यावसायिक फायदा हुआ या नहीं, इस का सब से अच्छा
आकलन तो कलाकार खुद ही कर सकते हैं. मगर हमारे लिये उन के गीतों के जरिये ‘हीरो’ कहे
जानेवाले कलाकारों के अलावा कार्यरत रहे अन्य अभिनेताओं को भी याद करने का मौका आज
होगा!
एक तरह से यह भी कहा
जा सकता है कि मेहमूद के लिये काफी गीत गाने की वजह से इस संपूर्ण गायक को कोमेडी गानों
का गायक भी बना दिया गया था. मेहमूद के लिये ‘पडोसन’में
“इक चतुर नार…” और “सांवरिया रे…”, तो ‘भूत बंगला’ में “आओ ट्वीस्ट करें..”,
‘औलाद’ में “जोडी हम्मारी जमेंगा कैसे
जानी…” ‘नीलकमल’ में “खाली डब्बा खाली बोतल ले ले मेरे यार…” या
फिर ‘प्यार किये जा’ का “ओ मेरी मैना, तु मान ले मेरा कहना…” जैसे
मेहमूद के जाने कितने ही कोमेडी गीत मन्ना डे ने गाये हैं. कोमेडी गीतों के लीस्ट में
‘दुज का चांद’ का आगा पर फिल्माया गया “फूल गेंदवा न मारो…” भी तो है, जो शायद
‘पडोसन’ की प्रेरणा जैसा था. वह गाना छुपाये
हुए रेकोर्ड प्लेयर पर बजता है और कमेडीयन आगा उसे गाने की एक्टींग करते हैं…. ठीक
वैसे ही जैसे ‘पडोसन’ में किशोर कुमार
के स्वर को सुनिल दत्त अपनी आवाज़ होने का नाटक करते हुए “मेरे सामनेवाली खिडकी में इक चांद का टुकडा रहता है…” और अन्य गाने गाते
हैं.
मगर मन्ना डे का नाम
आते ही “कस्में वादे प्यार वफा… ” (उपकार)
या फिर “यारी है इमान मेरा यार मेरी ज़िन्दगी…”
जैसे ज्यादा लोकप्रिय गाने और उन के साथ उन गीतों को पर्दे पर प्रस्तुत करनेवाले
प्राण साहब की याद ताजा हो जाती है. यह दोनों ही गाने प्राण के भी परिचयात्मक गीत हैं.
खलनायक से चरित्र अभिनेता बनने के उन के नये कदम को सर्व स्वीकृत करने में इन गानों
का योगदान कौन भूल सकता है? इसी तरह से काफी
फिल्मों में प्राण साहब के साथ जोडी बनानेवाले अशोक कुमार ने भी ‘मेरी सुरत तेरी आंखें’ का प्रसिध्ध गीत “पूछो ना कैसे मैने रैन बिताई…” मन्ना डे
के स्वर में गाया था.
उस दौर के एक अन्य
लोकप्रिय चरित्र अभिनेता बलराज साहनी उपर फिल्माया गया “अय मेरी ज़ोहराजबीं, तुझे मालूम नहीं…” (वक्त) भी उस अभिनेता के पहचानपत्र
जैसा गिना जाता है. परंतु, बलराज
सहानी की मुख्य भूमिका वाली ‘छोटी बहन’
का गाना “ओ कली अनार की ना इतना सताओ…”
पर्दे पर किसने गाया था, जानते हैं? रेहमान ने! ‘वक्त’ में ‘चिनोय सेठ’ बनने
वाले रेहमान को अपनी प्रेमिका के साथ पेड के इर्द गिर्द दौडते और गाना गाते देखना हो
तो मन्ना डे का यह गीत देखना चाहिये. मन्ना डे का अन्य एक
अमर गीत है ‘देख कबीरा रोया’ का “कौन आया मेरे मन के द्वारे…..” और उसे पर्दे
पर अभिनित कौन करता है? अशोक कुमार और किशोर कुमार के भाई अनुप कुमार! तो ऐसा ही एक
दुसरा जाना पहचाना गीत ‘बुढ्ढा मिल गया’
का फिल्म का “आयो कहां से घनश्याम…” है.
उसे पर्दे पर गाया था हर दिल अज़ीज़ अभिनेता ओमप्रकाश जी ने. इस में मन्ना डे का साथ
किसी व्यावसायिक गायिका ने नहीं, बल्कि फिल्म की हीरोइन अर्चना ने दिया था.
जब कि मन्ना दा का
गाया ‘तलाश’ का शिर्षक गीत “तेरे नैना तलाश करे जिसे वो है तुझी में कहीं
दीवाने….” पुराने जमाने के एक और कलाकार शाहु मोडक ने पर्दे पर गाया था. भारतीय
तालवाद्यों के अदभूत रीधम वाले इस गाने में शाहु मोडक पंडित जसराज की अदा में हाथ में
स्वर मंडल लिये जिस अंदाज से गाते हैं, उस से संगीत और नृत्य सभर इस रचना का संपूर्ण
माहौल बन जाता है. उसी तरह से स्वरमंडल लिये ए.के. हंगल साहब ने भी तो अमिताभ और राखी
की फिल्म ‘जुर्माना’ की रचना “ए सखी, राधिके बांवरी हो गई…” की शुरूआत
गाई थी ना?
मन्ना डे का अन्य एक
लोकप्रिय गाना “चुनरी संभाल गोरी, उडी चली
जाय रे…” (‘बहारों के सपने’ में) था, उसे चरित्र अभिनेता अनवर हुसैन पर फिल्माया
गया था. ऐसे ही एक दुसरे एक्टर क्रिश्न धवन थे, जिन्हों ने सैंकडों फिल्मों में काम
किया था. मगर कितने गीत गाने का मौका उन्हें मिला होगा यह एक संशोधन का विषय हो सकता
है. मगर राज कपूर की ‘तीसरी कसम’ का मस्ती
भरा वह लोकगीत नुमा गाना “चलत मुसाफिर मोह
लिया रे, पिंजडेवाली मुनिया…” क्रिश्न धवन ने गाया था.
उस गाने में विशेष
बात यह थी कि हीरो राजकपूर थे. मगर अपने पात्र के अनुरूप वे इस गाने के समूह स्वरों
में सिर्फ साथ देने का काम अन्य छोटे मोटे कलाकारों की तरह ही करते हैं! कितने स्टार
यह करने का साहस कर सकेंगे? (इस गाने में राज साहब को कोरस में गाते हुए, छोटी डफली
बजाते देखनेवाला हर कोई यह समज़ सकेगा कि आर.के. की म्युज़िक की सेन्स कितनी जबरदस्त
थी!) राज कपूर के निर्माण में बनी आर. के. फिल्म्स की ‘बुट पोलीश’ का मन्ना डे का एक क्लासिकल गाना “लपक झपक तु आ रे बदरवा…” अन्य एक चरित्र अभिनेता डेवीड ने गाया था. आर.
के. की एक और फिल्म ‘सत्यम शिवम सुन्दरम’
का भक्ति गीत “यशोमति मैया से पूछे नंदलाला.…”
का मन्ना डे के स्वर में सशक्त चरित्र अभिनेता कन्हैयालाल ने गाया था.
मगर मन्ना डे के गाये
इतने सारे गानों में से कुछ गीतों के अभिनेता के नाम जानने की उत्सुकता कभी कम नहीं
हुई है. इस लिये आज मन्ना दा को उन के जन्मदिन पर ‘हिन्दी टाइम्स’ की ओर से बधाई देते हुए तथा उन के निरोगी दीर्घायु की
कामना करते हुए हम पाठकों से पूछते हैं कि ‘मधुमति’
के गीत “दैया रे दैया चढ गयो पापी बिछुआ…”
में मन्ना डे के स्वर में पर्दे पर “मंतर फेरुं
कोमल काया…” गाने वाले कलाकार, पर्दे पर “अय मेरे प्यारे वतन अय मेरे बिछडे
चमन तुझ पे दिल कुरबान…” (काबुलीवाला) गाते अभिनेता, ‘सफर’
का अत्यंत अर्थपूर्ण गाना “नदिया चले, चले
है धारा…..” गाते मल्लाह बनते अभिनेता और ‘आशीर्वाद’ में गाडीवान बनकर “जीवन
से लम्बे है बन्धु, ये जीवन के रस्ते…” गानेवाले अदाकार.... इन कलाकारों में से किसी
का भी नाम आप में से अगर कोई जानते हों, तो अवश्य बतायें. हमें इन्तज़ार रहेगा.
भगवान इस महान गायक के आत्मा को शांति दे.....!
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